हरियाणा में मौसम का बड़ा उलटफेर: दो दिन बाद बरस सकते हैं बादल, क्या गेहूं बोने का है सही टाइम जाने पूरी डिटेल्स?
हरियाणा में मौसम का बड़ा उलटफेर

हरियाणा: हरियाणा में मौसम में लगातार परिवर्तन देखा जा रहा है, जिसमें दिन और रात के तापमान में उतार-चढ़ाव जारी है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में दिन के अधिकतम तापमान में 0.1 डिग्री सेल्सियस और रात के न्यूनतम तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके परिणामस्वरूप, रात का औसत तापमान सामान्य से 3.9 डिग्री अधिक हो गया है। शुक्रवार को महेंद्रगढ़ में न्यूनतम तापमान सबसे कम 15.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जबकि सिरसा में यह सबसे ज्यादा 20.0 डिग्री रहा। दिन का तापमान सामान्य स्तर पर आ गया है, और सिरसा में इसे 35.8 डिग्री के रूप में दर्ज किया गया।भारतीय मौसम विभाग, चंडीगढ़ सेंटर के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाल ने बताया कि आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट देखने को मिल सकती है। 20 नवंबर के बाद रात के तापमान में कमी आने की संभावना है, जिससे ठंडक बढ़ सकती है।

क्यों बदल रहा है मौसम?

मौसम में बदलाव का कारण पश्चिमी विक्षोभ है, जो हिमालय की ऊंची चोटियों पर प्रभाव डाल सकता है। इसके चलते पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी हो सकती है। हरियाणा में भी इस पश्चिमी विक्षोभ का असर 11-12 नवंबर को दिखाई देगा, जिससे बादल छाने और हल्की बारिश की संभावना बन सकती है। पिछले महीने से अब तक हरियाणा में बारिश नहीं हुई है, जिससे अक्टूबर के दौरान सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किया गया। इसी प्रकार, नवंबर में भी तापमान में बदलाव की संभावनाएं बनी हुई हैं।

क्या गेहूं की बुआई के लिए है अनुकूल समय?

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह छौक्कर का कहना है कि अब मौसम गेहूं की बुआई के लिए अनुकूल हो गया है। हरियाणा में गेहूं की बुआई का आदर्श समय 25 अक्टूबर से 20 नवंबर के बीच होता है। 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक की बुआई को अगेती बुआई माना जाता है, जबकि 20 नवंबर तक की बुआई भी पछेती बुआई में शामिल नहीं होती। इस अवधि में किसानों के लिए बुआई करना लाभकारी साबित हो सकता है, जिससे फसल की पैदावार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

किस जिले में हुई कितनी बारिश?

हरियाणा में इस साल मानसून का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। राज्य में सामान्य तौर पर 424.6 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, जबकि अब तक 406.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य से केवल 4% कम है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि बारिश का कोटा लगभग पूरा हो चुका है। हालांकि, कुछ जिलों में बारिश की स्थिति भिन्न रही। 10 जिलों में सामान्य से 10 से 38% कम बारिश हुई है, जिससे वहां के किसानों को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, 12 जिलों में सामान्य से 10 से 71% तक अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिससे जल संसाधन पर्याप्त बने हुए हैं।

इस साल के मानसून सीजन में नूंह, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ जैसे जिलों में अच्छी बारिश हुई। नूंह में सामान्य से 71% अधिक, गुरुग्राम में 53% अधिक, और महेंद्रगढ़ में 43% अधिक बारिश दर्ज की गई। इन जिलों में मानसून काफी मेहरबान रहा। दूसरी ओर, करनाल, यमुनानगर और पंचकूला में मानसून की बेरुखी रही। करनाल में सामान्य से 38%, यमुनानगर में 33%, और पंचकूला में 32% कम बारिश हुई।

क्या पूरा होगा बारिश का कोटा?

मौसम विभाग के अनुसार, मानसून अब कभी भी विदा हो सकता है, जिससे इन जिलों में बारिश का कोटा पूरा होने की संभावना कम हो गई है। करनाल, यमुनानगर और पंचकूला जैसे जिलों में बारिश की कमी से कृषि और जलस्तर पर प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, जिन जिलों में अधिक बारिश हुई है, वहां स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है।यह स्थिति हरियाणा के किसानों और आम जनता के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौसम में बदलाव फसलों और दैनिक जीवन दोनों को प्रभावित कर सकता है।

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