YEIDA यानि यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के द्वारा आगरा के पास एक न्यू आगरा बसाया जायेगा। बता दें कि बनने वाले इस न्यू आगरा अर्बन सेंटर की एक स्टडी रिपोर्ट तैयार करने के लिए ट्रैक्टेबल इंजीनियरिंग स्काई ग्रुप नामक कंपनी का चयन किया गया है।
यह कंपनी अगले 9 महीने में एक मास्टर प्लान का ब्लू प्रिंट तैयार करके प्राधिकरण को सौंपेगी। बता दें कि आगरा के पास करीब 40 हजार करोड़ रुपए से लगभग 10,500 हेक्टेयर में यह शहर बसाया जायेगा।
तीसरे चरण में हो रहा है आगरा का विकास:
दरअसल यमुना प्राधिकरण क्षेत्र कुल 6 जिलों तक फैला हुआ है। प्राधिकरण के द्वारा प्रथम चरण में गौतमबुद्धनगर तथा बुलंदशहर को विकसित किया जा रहा है। वहीं दूसरे फेज में अलीगढ़, हाथरस तथा मथुरा का विकास हो रहा है। इसी क्रम में तीसरे फेज में आगरा शहर को विकसित किया जाना है।
बता दें कि सलाहकार चयनित कंपनी स्काई ग्रुप के द्वारा मास्टर प्लान- 2031 के तहत आगरा के पास में बसाए जाने वाले न्यू आगरा शहर के अर्बन सेंटर में औद्योगिक, आवासीय तथा हरित क्षेत्र समेत सभी प्रकार की गतिविधियों को शामिल किया जायेगा।
इन बिंदुओं पर तैयार किया जायेगा मास्टर प्लान:
दरअसल मास्टर प्लान बनाने के लिए कई बिंदुओं को ध्यान में रखा जायेगा। जिसमें प्रमुख रूप से जनसंख्या, ट्रांसपोर्ट सिस्टम समेत सड़क, पर्यावरण की स्थिति तथा आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति, सभी प्रकार की सुविधाएं होंगी।
वहीं उद्योग की स्थिति तथा संभावनाएं, कारोबार की स्थिति एवं यमुना नदी समेत मौजूद अन्य सभी जल स्रोत की स्थिति पर भी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जायेगी। जिसके बाद यह रिपोर्ट अगले 9 माह में प्राधिकरण को सौंप दी जाएगी।
शहर को इस प्रकार किया गया है ब्रेक:
बता दें कि न्यू आगरा शहर को बनाने के लिए उसको विभिन्न प्रकार से ब्रेक किया गया है। जिसमे व्यवसायिक के लिए 4 फीसदी, आवासीय के लिए 20 फीसदी, ट्रांसपोर्ट के लिए 13 फीसदी, ग्रीनरी के लिए 15 फीसदी, उद्योग के लिए 25 फीसदी तथा पर्यटन के लिए 7 फीसदी एवं मिक्स लैंड यूज के लिए भी 7 फीसदी जमीन आरक्षित रहेगी।
स्मोक लेस फैक्ट्री और कंपनियों को मिलेगा बढ़ावा:
दरअसल न्यू आगरा की बेहद खास बात तो यह होगी कि यहां पर हर प्रकार के पर्यटन के साथ ही स्मोक लैस फैक्टरी तथा कंपनियों को भी बढ़ावा मिलेगा। यहां पर कोई भी ऐसी कंपनी अथवा फैक्ट्री नहीं लगाई जाएगी जो प्रदूषण पैदा करती हो।
इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा दिया जाएगा। मास्टर प्लान तैयार हो जाने के बाद उत्तर प्रदेश की कैबिनेट में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। जिसके बाद इस पर आपत्ति तथा सुझाव भी मांगे जाएंगे। मास्टर प्लान को एक बार कैबिनेट से अप्रूवल मिलने के बाद तत्काल रूप से जमीन अधिग्रहण भी शुरू कर दिया जाएगा।