आगरा: आगरा के 16 वर्षीय शिवम शर्मा की कहानी उन परिस्थितियों को उजागर करती है, जब एक नाबालिग लड़का सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर घर से भाग जाता है। शिवम कोतवाली क्षेत्र का निवासी है जो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर स्वामी प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से इतना प्रभावित हो गया कि उसने अचानक संन्यासी बनने का मन बना लिया। यह घटना तब शुरू हुई जब शिवम को मोबाइल पर स्वामी प्रेमानंद की रील्स दिखने लगीं। ये रील्स नियमित रूप से देखने के बाद शिवम महाराज के जीवन और उनकी विचारधारा से इतना प्रेरित हो गया कि उसने भी संन्यासी बनने की ठानी।
बिना परिवार को जानकारी दिए शिवम चला गया मथुरा
बिना परिवार को कोई जानकारी दिए, शिवम ने मथुरा जाने का फैसला किया, जहाँ वह स्वामी प्रेमानंद से मिलने और उनके प्रवचनों को सुनने की चाह में निकल पड़ा। मथुरा पहुंचकर, शिवम ने स्वामी से दो बार मुलाकात की, जिससे उसकी यह धारणा और भी मजबूत हो गई कि वह भी संन्यास के मार्ग पर चल सकता है।
परिवार ने दर्ज कराई थाना कोतवाली में गुमशुदगी की रिपोर्ट
इधर, शिवम के अचानक लापता हो जाने से उसके परिवार में हड़कंप मच गया। परिजनों ने उसे हर संभव जगह पर ढूंढा, दोस्तों और रिश्तेदारों से पूछताछ की लेकिन जब शिवम का कोई पता नहीं चला तो उन्हें पुलिस की सहायता लेनी पड़ी। परिवार ने थाना कोतवाली में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
पुलिस ने की तत्काल कार्यवाही
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत शिवम की तलाश शुरू कर दी। पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने से लेकर सर्विलांस की मदद ली और मथुरा के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उसकी खोजबीन की। पुलिस की कड़ी मेहनत और तकनीकी जांच के परिणामस्वरूप शिवम को मथुरा से सुरक्षित बरामद कर लिया गया।शिवम को वापस लाकर जब पुलिस ने उसे उसके परिजनों के सुपुर्द किया, तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिवार न केवल शिवम के सही सलामत वापस आने से खुश था, बल्कि पुलिस की तेज और प्रभावी कार्यवाही की भी दिल से सराहना की। स्थानीय लोगों और शिवम के परिवार ने थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह और उनकी टीम का विशेष सम्मान किया।
परिजनों को रखना चाहिए किशोरो का ध्यान
यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि सोशल मीडिया किस प्रकार किशोरों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। एक 16 साल के बच्चे के लिए प्रवचनों का इतना प्रभावी होना यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन और परिवार से संवाद की कितनी अहमियत है। परिजनों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे क्या देख रहे हैं और किस प्रकार के विचारधाराओं से प्रभावित हो रहे हैं।