नोएडा: नोएडा में पर्यावरण को सुरक्षित रखने और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के उद्देश्य से शुरू की गई ई-साइकिल योजना चार महीने में असफल होती दिख रही है। इस योजना के तहत सालाना 1125 टन कार्बन उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन संचालन में आई खामियों के कारण यह योजना अपनी संभावनाओं पर खरी नहीं उतर पाई। नोएडा प्राधिकरण अब योजना के संचालन के लिए जिम्मेदार कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी में है और इसके लिए नोटिस भी जारी किया जा चुका है।
कार्बन उत्सर्जन में कमी करना था योजना का उद्देश्य
ई-साइकिल योजना का उद्देश्य था कि 500 साइकिलें रोजाना कम से कम 1500 बार उपयोग में लाई जाएं। इसके जरिए सड़कों पर पेट्रोल और डीजल वाहनों की संख्या कम कर कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी लाने की उम्मीद थी। लेकिन कंपनी इन आंकड़ों तक पहुंचने में नाकाम रही।
योजना को शुरू करने में लग गए 4 साल
इस योजना को शुरू होने में चार साल का समय लग गया। इसे 17 अप्रैल 2023 को नोएडा प्राधिकरण के स्थापना दिवस पर लॉन्च किया गया। दो चरणों में योजना को लागू किया जाना था जिसमें पहले चरण में 31 डॉक स्टेशन शुरू करने थे। जिसमें कंपनी ने केवल 27 डॉक स्टेशन चालू किए। इसके बाद कंपनी दूसरे चरण का काम शुरू करने में पूरी तरह से विफल रही।
क्या थी सब्सक्रिप्शन की प्रक्रिया
ई-साइकिल का उपयोग करने के लिए "टर्बन मोबिलिटी" ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य है। इसके बाद 299 रुपये की सिक्योरिटी मनी जमा करनी होती है जो बाद में वॉलेट में वापस आ जाती है। मासिक सब्सक्रिप्शन के तहत लगभग 1400 रुपये का भुगतान कर महीने भर साइकिल का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन कंपनी उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ाने में असफल रही और केवल 1200 सब्सक्राइबर्स की संख्या तक ही सीमित रह गई, जो अपेक्षित संख्या से काफी कम है।
प्राधिकरण कर रहा है कंपनी को ब्लैक लिस्ट
नोएडा प्राधिकरण की स्टडी में यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी संचालन में लगातार विफल रही है। इसी कारण सिटी बस संचालन का टेंडर भी कंपनी से वापस ले लिया गया। अब कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
कंपनी का पक्ष
टर्बन मोबिलिटी के निदेशक चंद्र मोहन बाली का कहना है कि कंपनी आरएफपी के अनुसार सभी नियमों का पालन कर रही है। पहले चरण का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है जबकि दूसरे चरण के डॉक स्टेशन की लोकेशन पर अब तक प्राधिकरण की अनुमति नहीं मिली है।
नियोजन की कमी बनी असफलता की वजह
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सफल बनाने के लिए योजना में ठोस प्रबंधन और निगरानी की जरूरत थी लेकिन कंपनी यह करने में विफल रही। यहां तक कंपनी द्वारा डॉक स्टेशनों का संचालन भी समय पर नहीं हो पाया और न ही उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ाने के लिए कोई ठोस रणनीति अपनाई गई।
पर्यावरण और यातायात पर असर
योजना की विफलता से न केवल पर्यावरण को नुकसान हुआ है बल्कि यातायात कंजेशन में भी बढ़ोतरी हुई है। अगर योजना सफल होती तो यह नोएडा के पर्यावरण और यातायात दोनों के लिए एक सकारात्मक बदलाव साबित हो सकती थी।
योजना को सफल बनाने के लिय चाहिए बेहतर प्रबंधन
चार साल के इंतजार के बाद शुरू की गई यह योजना मात्र चार महीने में विफल हो गई। इसका मुख्य कारण कंपनी की लचर प्रबंधन क्षमता और प्राधिकरण का कमजोर निरीक्षण रहा। अब प्राधिकरण को नए सिरे से इस परियोजना की समीक्षा करनी होगी और इसे सफल बनाने के लिए बेहतर प्रबंधन और योजनाबद्ध कार्यवाही की जरूरत होगी।