दिल्ली का विंटर एक्शन प्लान: ऑड-ईवन और बायो डी-कंपोजर जैसे उपाय लागू कर वायु प्रदूषण को किया जायेगा कम?
दिल्ली का विंटर एक्शन प्लान

दिल्ली: सर्दियों के दौरान बढ़ने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने एक विस्तृत और प्रभावी 21 बिंदुओं वाला विंटर एक्शन प्लान तैयार किया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करना और लोगों को स्वच्छ वायु प्रदान करना है। दिल्ली की सर्दियों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है, जिससे निपटने के लिए सरकार ने कई ठोस कदम उठाने का फैसला किया है।

विंटर एक्शन प्लान है एक व्यापक रणनीति

दिल्ली सरकार का विंटर एक्शन प्लान एक व्यापक रणनीति है, जिसमें प्रदूषण के हर संभावित स्रोत पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सरकार की कोशिश है कि सर्दियों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए और इसके लिए हर स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। साथ ही, केंद्र और पड़ोसी राज्यों के सहयोग से एक समन्वित प्रयास किया जा रहा है ताकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण को कम किया जा सके।

विंटर एक्शन प्लान के तहत वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किए जाने वाले कार्य:

प्रदूषण हॉटस्पॉट्स की निगरानी: वायु प्रदूषण के प्रमुख केंद्र या हॉटस्पॉट्स की पहचान कर वहां ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि उन क्षेत्रों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय किए जा सकें साथ ही इन क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विशेष टास्क फोर्स: एक विशेष छह सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जो इस विंटर एक्शन प्लान की प्रभावी निगरानी और कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी। यह टीम तत्काल कार्यवाही करेगी और योजना के तहत उठाए जाने वाले हर कदम की देखरेख करेगी।

आपातकालीन ऑड-ईवन योजना: जब वायु प्रदूषण अपने चरम पर होगा, तब वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना लागू की जाएगी। इसके तहत एक दिन ऑड नंबर वाले और अगले दिन ईवन नंबर वाले वाहन चलेंगे। इसका उद्देश्य वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना है।

कृत्रिम बारिश: अत्यधिक प्रदूषण की स्थिति में कृत्रिम वर्षा का सहारा लिया जाएगा ताकि वायु में मौजूद हानिकारक कणों को धोकर वायुमंडल को साफ किया जा सके।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP): इस योजना के तहत प्रदूषण की स्थिति के अनुसार अलग-अलग स्तर पर कदम उठाए जाएंगे। इसका क्रियान्वयन बेहद सख्ती से किया जाएगा, जिससे बढ़ते प्रदूषण पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण रखा जा सके। साथ ही, केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर भी दिल्ली सरकार काम करेगी ताकि क्षेत्रीय स्तर पर समन्वय बनाकर प्रदूषण से निपटा जा सके।

निर्माण स्थलों की निगरानी: निर्माण स्थलों पर प्रदूषण रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जाएगी। निर्माण गतिविधियों के दौरान उत्पन्न होने वाली धूल और अन्य प्रदूषणकारी तत्वों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाएगा, और जो भी मानकों का उल्लंघन करेगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वाहन प्रदूषण और कचरा जलाने पर रोक: वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही, खुले में कचरा जलाने पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। इसके लिए विशेष टीमें गठित की जाएंगी जो निगरानी करेंगी और उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।


एंटी डस्ट कैंपेन: धूल प्रदूषण को कम करने के लिए 7 अक्तूबर से एंटी डस्ट कैंपेन चलाया जाएगा। इस अभियान के लिए 523 टीमें बनाई गई हैं, जो दिल्ली भर में धूल मानकों का उल्लंघन करने वाले कार्यों पर नजर रखेंगी और तुरंत कार्रवाई करेंगी।

मोबाइल एंटी-स्मॉग गन: नवंबर से तीन शिफ्टों में 200 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन दिल्ली की सड़कों पर तैनात की जाएंगी, ताकि हवा में मौजूद धूल और अन्य प्रदूषणकारी तत्वों को नियंत्रित किया जा सके। एंटी-स्मॉग गन हवा में पानी की बारीक बूंदें छोड़ती हैं, जिससे धूल और कण नीचे आ जाते हैं।

बायो डी-कंपोज़र का छिड़काव: इस बार दिल्ली के 5000 एकड़ से अधिक खेतों में बायो डी-कंपोज़र का निशुल्क छिड़काव किया गया है। इसका उद्देश्य पराली जलाने की समस्या को कम करना है, क्योंकि पराली जलाने से वायु प्रदूषण में भारी इजाफा होता है। बायो डी-कंपोज़र पराली को प्राकृतिक तरीके से गलाने में मदद करता है, जिससे किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एमसीडी की तैयारी? 

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने भी वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। एमसीडी के अनुसार, जल छिड़काव वाली मशीनों और एंटी-स्मॉग गनों की संख्या में वृद्धि की जाएगी। अभी 195 जल छिड़काव मशीनें और 30 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन सक्रिय हैं, और इसके अतिरिक्त 20 और एंटी-स्मॉग गन निर्माण एवं विध्वंस (सीएंडडी) प्लांटों, लैंडफिल साइटों और ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों पर लगाई जाएंगी। इसके अलावा, उच्च ऊंचाई वाले भवनों पर भी 15 एंटी-स्मॉग गन लगाने की योजना है।

सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए एमसीडी ने अप्रैल से अगस्त के बीच 6700 गड्ढों को भरा है और 50 किमी लंबाई की सड़कों का पुनर्निर्माण किया है। इसके साथ ही, धूल मानदंडों का उल्लंघन करने पर अप्रैल से अगस्त के बीच 801 चालान किए गए हैं।